Tuesday, July 22, 2014

ऐरा बिल्डिसिस के मजदूरों पर मालिक व पुलिस प्रशासन के गठजोड़ का क्रूर हमला

     मजदूरों पर पुलिस व पी. ए. सी. द्वारा लाठी चार्ज, एक दर्जन मजदूर गंभीर रूप से घायल, इ.म.के. के अध्यक्ष सहित 18 मजदूरों की 7 सी. एल. ए व अन्य धाराओं के तहत फर्जी मुकदमों में गिरफ्तारी 
   21 जुलाई, पंतनगर, उत्तराखण्ड, स्थानीय सिडकुल (स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलेपमेन्ट कार्पोरेशन आॅफ उत्तरांचल लि0) के अंतर्गत ऐरा बिल्डिसिस के श्रमिकों के द्वारा अपनी यूनियन पंजीकरण के बाद फैक्टरी गेट पर झंडा लगाने की कार्रवाई मालिक व प्रशासन के गठजोड़ को इस कदर नागवार गुजरी कि शाम 5 बजे पुलिस और पी. ए. सी का दल बल फैक्टरी गेट पर पहुंचा और उसने मजदूरों के द्वारा लगाये झंडे को उखाड़ फेंका। मजदूरों ने जब इसका प्रतिरोध करते हुए दुबारा झंडा लगाने का प्रयास किया तो पुलिस व पी. ए. सी ने बर्बर लाठी चार्ज किया जिसमें एक दर्जन मजदूरों को गंभीर चोटें पहुंची तथा कई हताहत हुए। पुलिस ने 18 मजदूरों का गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार मजदूरों में से एक का सिर फट गया है तथा एक का हाथ टूट गया है। बाकी अन्य घायल मजदूर विभिन्न अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं।
अगले दिन 22 जुलाई को इस पुलिसिया दमन का विरोध करते हुए इंकलाबी मजदूर केन्द्र के अध्यक्ष कैलाश भट्ट के नेतृत्व में एक ट्रेड यूनियन व मजदूरों का प्रतिनिधि मंडल जब जिलाधिकारी से मिलकर उन्हें ज्ञापन देने के लिए स्थानीय कलेक्ट्रेट पहुंचा तो जिलाधिकारी (DM) ने मिलने से मना कर दिया। सहायक जिलाधिकारी (ADM) व परगना अधिकारी (SDM) भी मिलने को तैयार नहीं हुए और सादी वर्दी में पुलिस कर्मियों ने पहले तो इ.म.के. के अध्यक्ष कैलाश भट्ट को पुलिस चैकी में एस. एच. ओ से वार्ता के लिये चलने को कहा। इस पर इ.म.के. के अध्यक्ष कैलाश भट्ट ने कहा कि “अगर बात करनी है तो यहीं कर लें और अगर गिरफ्तार करना है तो गिरफ्तार कीजिए।” इस बात पर पुलिस कर्मियों ने गिरफ्तारी की बात करते हुए धक्का मुक्की कर कैलाश भट्ट को जीप में बैठाया और स्थानीय चौकी ले गये। इसके बाद कैलाश भट्ट व 18 अन्य मजदूरों जिन्हें 21 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था, का मेडिकल कराकर उन्हें शाम 4 बजे कोर्ट में पेश किया गया। जज के कोर्ट में मौजूद न होने पर जज के घर जाकर इन लोगों पर फर्जी मुकदमें के कागजों पर दस्तखत करा लिये गये। इ.म.के. के अध्यक्ष कैलाश भट्ट व अन्य 18 मजदूरों पर 7 सी. एल. ए (क्रिमिनल लाॅ एमेन्डमेन्ड) सहित धारा 147, 341, 353, 332 व 447 के अंतर्गत फर्जी मुकदमे लगाये गये हैं। गैर जमानती धारा 7 सी. एल. ए के तहत निचली अदालत से जमानत नहीं हो सकती है। जिला अदालत ही जमानत दे सकती है। 

गौरतलब है कि उत्तराखण्ड शासन-प्रशासन द्वारा मजदूर आंदोलन का दमन कोई नई बात नहीं है। इससे पूर्व इ.म.के. के अध्यक्ष कैलाश भट्ट पर दो साल पूर्व पुलिस प्रशासन द्वारा गैंगस्टर एक्ट लगाया जा चुका है। इंकलाबी मजदूर केन्द्र के नेतृत्व में चले हरिद्वार सिडकुल के राॅकमैन सत्याम आंदोलन में 350 मजदूरों की गिरफ्तारी हो या फिर इंकलाबी मजदूर केन्द्र के सम्मेलन के बाद हरिद्वार में 183 मजदूर कार्यकर्ताओं व ट्रेड यूनियन नेताओं पर 7 सी. एल. ए तथा भड़काऊ भाषण सहित कई धाराओं के अंतर्गत फर्जी मुकदमे लगाने का मामला हो, इंकलाबी मजदूर केन्द्र आंदोलन को आगे बढ़ाने के चलते शासन-प्रशासन के निशाने पर रहा है। 
   ऐरा बिल्डिसिस यूनियन गत एक वर्ष से अपनी यूनियन पंजीकरण के लिये संघर्षरत रही है। नवंबर 2013 से कम्पनी के 114 में 105 स्थायी मजदूरों ने इ. म. के. की सहायता से अपनी यूनियन पंजीकरण के प्रयास शुरु किये थे। इसकी भनक लगते ही कम्पनी प्रबंधन ने अध्यक्ष राजेन्द्र व महामंत्री हीरा लाल का स्थानान्तरण उत्तराखण्ड से बाहर करने की साजिश रची। श्रमिकों ने इसके खिलाफ मजबूती से संघर्ष किया। ढाई माह के संघर्ष के बाद कम्पनी को घुटने टेकने पड़े व उनको वापस काम पर बहाल करना पड़ा। यह सिडकुल के भीतर निकाले गये नेताओं की काम पर वापसी की पहली घटना थी, जिसका मजदूरों के बीच सकारात्मक असर पड़ा। कंपनी प्रबंधन ने यूनियन पंजीकरण रुकवाने के लिये छल-प्रपंच के सभी तरीके अपनाये। 105 में से 81 मजदूरों के फर्जी दस्तखत कर कंपनी प्रबंधकों द्वारा उप श्रमायुक्त के पास प्रार्थना पत्र भेजा गया कि मजदूर यूनियन पंजीकरण नहीं चाहते हैं कि मजदूर नेताओं द्वारा उनसे जबरन हस्ताक्षर कराये गये हैं। इसके खिलाफ यूनियन के 105 मजदूरों के हस्ताक्षर कराकर ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार (श्रम आयुक्त) के पास पत्र भेजा और तत्काल यूनियन पंजीकरण के लिये आग्रह किया। कंपनी प्रबंधन ने मजदूरों को पदोन्नति, वेतनवृद्धि तथा लालच देकर भी तोड़ने की कोशिशें की लेकिन वे नाकाम हो गयीं। अंततः मजदूर यूनियन पंजीकरण करवाने में सफल रहे। 15 जुलाई को गेट पर यूनियन का झंडा लगाने के लिये ऐरा श्रमिक संगठन ने जिलाधिकारी, उप श्रमायुक्त, एस. एस. पी आदि को पूर्व सूचना दे रखी थी। अंततः पुलिस प्रशासन ने षड़यंत्रपूर्वक मजदूरों के मनोबल को तोड़ने के लिये इस क्रूर दमनात्मक कार्रवाई को अंजाम दिया। 
गौरतलब है कि इससे पूर्व लोकसभा चुनाव के अवसर पर इ.म.के. के अध्यक्ष कैलाश भट्ट जो कि लोकसभा चुनाव में एक मजदूर प्रत्याशी के बतौर खड़े थे, को सिडकुल में मजदूरों की सभा करने की प्रशासन ने अनुमति नहीं दी थी, कड़ा प्रतिरोध व आंदोलन की धमकी के बाद ही प्रशासन यह अनुमति देने के लिये मजबूर हुआ। 
उत्तराखण्ड सरकार, प्रशासन व पूंजीपतियों का गठजोड़ मजदूरों के श्रम अधिकारों के प्रति चेतना को क्रूर दमन के द्वारा कुचलना चाहता है लेकिन लगातार उसकी दमनात्मक कार्रवाइयों के बावजूद मजदूरों का प्रतिरोध बढ़ता जा रहा है। 
    23 जुलाई को ऐरा श्रमिक संगठन के क्रूर दमन व उन पर लगाये गये फर्जी मुकदमों के खिलाफ सिडकुल के तमाम ट्रेड यूनियनों व श्रमिक संगठनों ने विरोध स्वरूप स्थानीय कलेक्ट्रेट पर एक दिवसीय धरने का कार्यक्रम आयोजित किया है। 
    सभी प्रगतिशील व जनवादी शक्तियों के द्वारा ऐरा बिल्डिसिस के मजदूरों के दमन के विरोध किये जाने की जरूरत है।

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